
बिस्तर पे अपना बदन डालते ही मेरी आँखे बंद हुई, जिस्म की चुदाई की माँग को बुझाने के लिए मेरी उँगलियाँ ना जाने कब मेरे चूत का बंधन पार करते हुए मेरे चुत को छूने लगी. एक हाथ से मैक्सी के ऊपर से ही चूँचियाँ मसलते हुए मैंने मेरी दो उँगलियाँ मेरे भोसड़े में घुसा दी और पुराने दिन याद करते हुए मज़ा लेने लगी.
फिर मैंने वो खीरा उठा लिया और अपनी चूत में डाल लिया। खीरा मेरे पति के लण्ड से तो बड़ा था पर बाबूजी से छोटा ही था. पर जो भी हो काम तो चलाना ही था. तो मैंने पूरा खीरा अंदर घुसेड़ लिया और अंदर बाहर करके मजा लेने लगी.







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